हरिद्वार – आयुष विभाग हरिद्वार द्वारा आज आशा कार्यकर्ताओं के लिए आयुष आधारित व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जिले की समस्त आशाओं को घरेलू उपचार, औषधीय पौधों का उपयोग, योग-प्राणायाम, जीवनशैली आधारित रोगों के प्रबंधन और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों द्वारा दी जा रही सेवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश तथा आयुष मिशन विशेषज्ञ डॉ. अवनीश उपाध्याय द्वारा भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया।
उद्घाटन वक्तव्य में डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने कहा – “आयुष आधारित स्वास्थ्य पद्धतियाँ समुदाय को सुरक्षित, सरल और प्रभावी स्वास्थ्य समाधान प्रदान करती हैं। आशाएं इन सेवाओं को घर-घर तक पहुँचाने की सबसे मजबूत कड़ी हैं।” आयुष मिशन विशेषज्ञ डॉ. अवनीश उपाध्याय ने आशाओं को जीवनशैली आधारित रोगों की रोकथाम, घरेलू आयुष उपाय, औषधीय पौधों की पहचान, रसोई-बगीचा (Kitchen Garden), पंचकर्म की मूल अवधारणाओं और आयुष थेरेपी के सुरक्षित उपयोग पर व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि “कई स्थानों पर RMP जैसे लोग उपचार कर रहे हैं, जबकि प्रशिक्षित आशाएं सुरक्षित और वैज्ञानिक आयुष पद्धतियों से समुदाय को कहीं बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ दे सकती हैं।”
नोडल अधिकारी हरिद्वार डॉ. विक्रम सिंह रावत और सह नोडल अधिकारी डॉ. विजेंद्र कुशवाहा ने आशाओं को घरेलू उपचार, जीवनशैली आधारित रोगों के कारण और उनके आयुष प्रबंधन के प्रभावी तरीकों की जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से हाईपरटेंशन, डायबिटीज, एनीमिया, मोटापा, अपच, सर्दी-खांसी आदि में योग, प्राणायाम, आहार-संशोधन और जल चिकित्सा की भूमिका समझाई।
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ ने होम स्टे योजना, ग्रामीण पर्यटन, तथा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में उपलब्ध सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि ये पहलें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करती हैं। अंत में डॉ. अवनीश उपाध्याय ने कहा कि “आशाएं समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता की प्रथम कड़ी हैं। आयुष उपचार, योग और घरेलू पौधों का ज्ञान उन्हें और अधिक सक्षम बनाता है। यह प्रशिक्षण न केवल उनके कौशल में वृद्धि करेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और समुदाय के लिए अधिक उपयोगी बनाएगा।

