हरिद्वार 20 अक्टूबर – अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र साधना का महापर्व है। इन दिनों गायत्री की साधना आत्मिक प्रगति का द्वार खोलता है। लीलापुरुष भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवतगीता में कई स्थानों पर इसका उल्लेख किया है।

गीतामर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या देश-विदेश में अपने-अपने घरों में नवरात्र साधना में जुटे साधकों को वर्चुअल संदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण ने भी कई स्थानों पर गायत्री साधना की महिमा का वर्णन किया है। वे अर्जुन को साधना करने के लिए प्रेेरित करते हुए कहते हैं कि साधना के माध्यम से परमगति को प्राप्त किया जा सकता है। डॉ पण्ड्या ने कहा कि साधना से विवेक का जागरण होता है। विवेक के जागरण से दुःख, कष्ट मिलने पर मन उद्विग्न नहीं होता और सुख प्राप्त होने पर मन विचलित नहीं होता है। ऐसे साधकों के मन से राग, द्वेष जैसे भाव प्रायः विलुप्त हो जाता है और वह स्थितप्रज्ञ की ओर अग्रसर होता है। स्थितप्रज्ञ व्यक्ति सुख-दुःख में समभाव रहता है।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि गायत्री के सिद्ध साधक युगऋषि पूज्य पं० श्रीराम शर्मा ने बताया है कि गायत्री साधना सार्वभौम है। इससे प्रारब्ध को काटा अथवा कम किया जा सकता है और भविष्य को संवारा जा सकता है। गायत्री साधना से कई प्रकार की व्याधियों से भी बचा जा सकता है।
इससे पूर्व श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या सहित शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं ने आनलाइन संगोष्ठी के माध्यम से जप-तप के आवश्यक नियम एवं प्रगति के सोपान जैसे अनेक विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। विषय विशेषज्ञों ने भी साधकों के विविध शंकाओं, जिज्ञासाओं का समाधान किया। पुणे, भोपाल, रायपुर, दिल्ली, मुंबई, बैंगलूरु, हैदराबाद आदि शहरों के अनेक युवाओं एवं गायत्री साधकों को उनकी जिज्ञासाओं का उचित समाधान दिया गया।

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