दिल्ली – किसानों ने बिल के विरोध में भारत बंद का आवहान किया था, किसानों ने आम लोगों को दिक्कत न हो इस वजह से सुबह 11 से 3 बजे तक देशवासियों से भारत बंद में शामिल होने की अपील की थी। किसानों के बंद का देश में मिलाजुला असर दिखा। किसानों के इस बंद को कई राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया था, विपक्ष इस मुद्दे के सहारे सीधे-सीधे प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश में जुटा दिखा। किसानों के तय समय से पहले ही कई राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दल के लोग सड़कों पर केंद्र सरकार और मोदी के खिलाफ नारे लगाते दिखे। कहीं ट्रेन की पटरी पर लेटे, तो कहीं सड़कों पर टायर जला कर रोड़ को बंद करते दिखाई दिए, कई जगहों पर प्रदर्शनकारी दुकानों को जबरदस्ती बंद कराते दिखे, जिसका कुछ जगह व्यपारियों ने भी विरोध किया। लेकिन जो तस्वीरें देश के कई राज्यों से आई वह कुछ और ही बयां करती है। विपक्ष के तमाम प्रयासों के बावजूद भारत बंद का असर कई राज्यों में नहीं दिखा, मंडी, बाज़ार, आफिस और सड़कों पर आवाजाही भी रोजमर्रा की तरह दिखी। कुछ राज्यों में भारत बंद का आंशिक असर जरूर दिखा लेकिन ज्यादातर जगहों पर शोर-शराबा ज्यादा और बंद का असर कम दिखा। जनीतिक दलों का बंद और विरोध सोशल मीडिया पर ज्यादा दिखा।

भारत सरकार ने तीन कृषि बिल लाकर यह दावा किया है कि इससे किसानों की हालत बेहतर होगी। लेकिन कई राज्यों के किसानों को एमएसपी, मंडी व्यवस्था और ज़मीन अधिग्रहण का डर सता रहा है। हालांकि कृषि मंत्री समेत सरकार के कई मंत्री किसानों को यह कह चुके हैं कि किसानों की चिंता बेबुनियाद हैं, इस बिल से किसानों को ऐसा कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है, किसानों को डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच 5 राउंड की वार्ता हो चुकी है, उसके बाद भी अब तक कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है। बुधवार को सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की बैठक होनी थी जो रद्द हो गई है। बैठक से पहले मंगलवार को गृहमंत्री ने कई किसान नेताओं के साथ वार्ता की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। बुधवार को सरकार अपना प्रस्ताव किसानों को भेज रही है, अब किसान नेताओं को यह तय करना है कि वह सरकार के प्रस्ताव से सहमत है कि नहीं। क्या सरकार ओर किसान इस पूरे मसले का समाधान निकाल पाएंगे, जब सरकार और किसान नेता आगे फिर वार्ता के लिये बैठेंगे तो इस पर पूरे देश की नजरें टिकी होगी।

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