हरिद्वार – कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हरिद्वार जिला प्रशासन ने 30 नवंबर को पड़ने वाले कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर रोक लगा दी है। प्रशासन के इस निर्णय से श्री गँगा सभा के पदाधिकारियों ने नाराजगी व्यक्त की है। श्री गँगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने प्रशासन के गँगा स्नान को स्थगित करने के निर्णय को धार्मिक आस्था पर चोट बताया। हरिद्वार एसपी सिटी कमलेश उपाध्यक्ष का कहना है कि उनके द्वारा लोगो से अपील की जा रही  है कि वो कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने गँगा घाटों पर न आये। बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ही प्रशासन ने स्नान को स्थगित करने का फैसला लिया है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोगो को भी गँगा स्नान पर रोक लगाई गई है। वही श्री गँगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने प्रशासन के इस निर्णय पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन के ऐसे निर्णय से परंपरा नही बनने चाहिए। दिल्ली और उत्तराखंड की तुलना करना उचित नही है उत्तराखंड में कोविड की परिस्थिति इतनी भयावह नही है कि गंगा स्नान पर ही रोक लगा दी जाए। उनकी सरकार से यही माँग है कि किसी भी धार्मिक आयोजन या गँगा स्नान को सीमित किया जाए लेकिन सम्पूर्ण स्नान पर रोक लगा देने या स्थगित करना कही न कही हमारी धार्मिक आस्था पर चोट करने के समान है। आपको बता दे कि जिला प्रशासन के इस निर्णय के बाद से ही धर्मनगरी के घाटों पर बेरिकेड्स लगाए गए है जिन पर गँगा स्नान पर रोक के विज्ञापन लगे है। 

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