हरिद्वार – धर्मनगरी हरिद्वार के कई आश्रम, मठ मंदिरों और धर्मशालाओं को उत्तराखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एसटीपी लगाने का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के विरोध में साधु संतो ने कई बैठक कर नाराजगी जताई है। सोमवार शाम नोटिस को लेकर एक बार फिर से हरिद्वार के प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में साधु संतो की बैठक की गई। इस बैठक में कई साधु संत, धर्मशाला संचालकों के साथ ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी शामिल हुए। इस दौरान साधु संतों ने मंत्री मदन कौशिक के सामने अपनी समस्याओं से अवगत कराया और कहा कि जब वो सीवेज टैक्स दे रहे है तो फिर उन्हें अलग से एसटीपी लगाने का नोटिस देना अनुचित है। इस दौरान जूना अखाड़े के संगठन महामंत्री बाबा विनोद गिरी महाराज ने मंत्री मदन कौशिक को हरिद्वार का महंत बताया और कहा मदन कौशिक हमेशा की तरह इस नोटिस की समस्या का समाधान जरूर निकलेंगे। अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा कि महंत स्वामी रूपेंद्रप्रकाश महाराज ने अपने आश्रम इस बैठक का आयोजन करके वास्तव में संत परंपरा को बचाने के लिए जो प्रयास किया है वो सराहनीय है। महामंडलेश्वर व हरे राम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कपिल मुनि महाराज ने मदन कौशिक से माँग कि हरिद्वार के आश्रमों को मिलने वाले व्यावसायिक बिजली के बिलो को घरेलू बिजली बिल में बदला जाए। साधु संतों की माँग पर मंत्री मदन कौशिक ने आश्वासन दिया कि उन्हें किसी तरह का कोई टैक्स नही देना होगा। उन्होंने कहा कि सभी आश्रम, मठ, मंदिरों और धर्मशालाओं को अब सिर्फ एक निःशुल्क रेजिस्ट्रेशन कराना होगा जिसके बाद उन्हें साल 2036 तक किसी प्रकार का कोई रेजिस्ट्रेशन नही कराना होगा। इस रेजिस्ट्रेशन के लिए उन्हें किसी कार्यालय का चक्कर नही काटना पड़ेगा इसके लिए अधिकारी खुद उनके पास आएंगे। संतो की माँग पर बिजली पानी की समस्याओं का भी वो जल्द समाधान निकलेंगे।

मंत्री मदन कौशिक के इस आश्वासन के बाद प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के परमाध्यक्ष महंत स्वामी रूपेंद्रप्रकाश महाराज ने उनका आभार व्यक्त किया। वही बीजपी के जिला महामंत्री विकास तिवारी ने मदन कौशिक द्वारा राहत दिए जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए धर्मशाला संचालन समिति की तरफ से उनका सम्मान करने की घोषणा भी की। बैठक में महामंडलेश्वर शिवानंद जी महाराज, ललितानंद गिरि महाराज, जगदेव सिंह,  बीजपी नेता नरेश शर्मा, पार्षद अनिरुद्ध भाटी समेत कई साधु संत भी मौजूद रहे।

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