हरिद्वार – देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र साधना गायत्री अनुष्ठान करने वाले साधकों को अनुवांछित सांसारिक चाहतों से मुक्त करता है और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। युवा आइकॉन डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित नवरात्र साधकों के विशेष सत्संग को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साधना का वास्तविक फल तभी प्राप्त होता है, जब उसमें श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा का समावेश हो। उन्होंने उपस्थित साधकों से आह्वान किया कि वे नवरात्रि के इन दिनों को आत्मचिंतन, आत्मशुद्धि और लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पूर्ण निष्ठा से साधना में लगाएं। युवा आइकॉन डॉ. पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है और यह आत्मिक जागरण और चरित्र निर्माण का उपयुक्त समय है। यदि इस दौरान व्यक्ति अपनी ऊर्जा को साधना, सेवा और स्वाध्याय में लगाता है, तो वह अपने जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकता है।

उन्होंने कहा कि नवरात्र साधना को पूर्ण करने के लिए परमात्मा की दो शक्तियाँ करती हैं। पहली माता सावित्री सांसारिक जीवन से अवगत कराती है, तो वहीं देवमाता गायत्री साधक के आंतरिक जीवन को परिपक्व करती है और उन्हें अध्यात्म के पथ की ओर चलने के लिए सद्बुद्धि प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि नवरात्र साधना के माध्यम से माँ गायत्री साधक को सतत आत्ममंथन की ओर प्रेरणा देती है, जो साधक को आत्म सुधार और आत्म निर्माण की दिशा में अग्रसर करता है। इससे पूर्व युगगायकों ने भावपूर्ण गीत कर रहे हैं साधना हम-शक्ति गुरुवर आप देना से उपस्थित साधकों की मनोभूमि को उल्लसित कर दिया। तो वहीं साधकों ने भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर सामूहिक जप, ध्यान और सत्संग में भाग लिया।

इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर साधना के उल्लास, अनुशासन और आस्था से सराबोर दिखाई दिया। नवरात्र साधना के विशेष अवसर पर आये देशभर के साधकों ने इसे एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव बताया। इस दौरान वरिष्ठ कार्यकत्र्ता पं. शिवप्रसाद मिश्र, व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज परिवार सहित देश-विदेश से आये हजारों साधक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *