हरिद्वार – निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर विवाद गहराता जा रहा है। जयपुर से हरिद्वार पहुँचे प्रज्ञानानंद महाराज ने खुद को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर होने का दावा कर निरंजनी अखाड़े को घेरे में खड़ा कर दिया था। प्रज्ञानानंद महाराज ने निरंजनी अखाड़े पर सवाल उठाने के साथ ही न्यायालय की शरण लेने की बात कही थी।

पट्टाभिषेक से 3 दिन पूर्व निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने स्वीकार कर लिया कि 2019 में प्रज्ञानानंद महाराज को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया था। नरेंद्र गिरी के इस बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि मामले को तूल पकड़ता देख नरेंद्र गिरी ने कहा कि अखाड़े ने सर्वसम्मति से प्रज्ञानानंद महाराज को अखाड़े के सारे पद के साथ ही आचार्य महामंडलेश्वर पद से भी हटा दिया। नरेंद्र गिरी के इस बयान से ये साफ हो गया है कि कैलाशानंद गिरी महाराज को जब निरंजनी अखाड़े ने अपना नया आचार्य महामंडलेश्वर बनाने की घोषणा की, तब प्रज्ञानानंद महाराज निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर तैनात थे।

आपको बता दे कि 1 जनवरी को दक्षिण काली पीठाधीश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने अपने जन्मदिवस पर अग्नि को छोड़ कर निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए थे। आगामी 14 जनवरी को कैलाशानंद गिरी महाराज का आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया जाना है।

निरंजनी अखाड़े के नए आचार्य महामंडलेश्वर की घोषणा के बाद प्रज्ञानानंद महाराज सामने आए गए हैं और उन्होंने खुद को निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर पद पर बताते हुए इस पट्टाभिषेक को नियमो के विरुद्ध बताया है। गौरतलब है कि प्रज्ञानानंद महाराज ने मार्च 2019 में हुए अपने पट्टाभिषेक के फ़ोटो दिखाए। उन्होंने इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने तक की बात कही है। लेकिन निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने सोमवार को 11 बजे प्रज्ञानानंद महाराज को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाते हुए उन्हें अखाड़े से भी निष्काषित कर दिया। नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि प्रज्ञानानंद आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद निरंजनी अखाड़े में ही नही आये और न ही अखाड़े के किसी संत से मिले। उन्होंने ये भी कहा कि प्रज्ञानानंद इस पद के लिए अयोग्य है उन्होंने अखाड़े की परंपराओं के विरुद्ध अखाड़े की छवि को खराब किया है। उन्हें ये पद सौंपने की उनसे सबसे बड़ी गलती हुई है। इसलिए उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने के साथ ही अखाड़े से भी निष्काषित किया जा रहा है। 

वही प्रज्ञानानंद महाराज ने नरेंद्र गिरी पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपने निष्कासन का कोई लिखित पत्र अभी नही मिला है, नरेंद्र गिरी महाराज निष्कासन का लिखित कारण बताएं। प्रज्ञानानंद महाराज ने आरोप लगाया कि नरेंद्र गिरी महाराज इससे पहले तो उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर मानने को तैयार ही नही थे। उनको हटाये बिना उस पद पर किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति नियमो के विरुद्ध है। वो कानूनी प्रकिया का सहारा लेंगे और साधु संतों के सामने भी इस मामले को उठायेंगे। प्रज्ञानानंद महाराज अब यह सवाल उठा रहे हैं कि जब किसी पद पर पहले से ही कोई संत नियुक्त है तो फिर कैसे उसी पद पर दुसरे संत को नियुक्त किया जा सकता है।

हालांकि निरंजनी अखाड़े ने यह साफ कर दिया है कि कैलाशानंद गिरी महाराज निरंजनी अखाड़े के नए आचार्य महामंडलेश्वर होंगे। यानि 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर कैलाशानंद गिरी महाराज का पट्टाभिषेक होना तय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *