हरिद्वार – योगऋषि स्वामी रामदेव ने आज संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं, बल्कि ज्ञान का महासागर है, जिसमें सम्पूर्ण विश्व की भाषाओं का सार निहित है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में इतनी सामर्थ्य है कि भारत पूरे विश्व में अपना परचम लहरा सकता है। स्वामी रामदेव ने आगे कहा कि जीवन के संपूर्ण विकास का आधार संस्कृत है और इसी दिशा में पतंजलि और उसके सहयोगी संस्थान सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संस्कृत में जीवन और ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्य समाहित हैं, जिनका अध्ययन और अनुसंधान आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है।
स्वामी रामदेव ने सभागार में उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान दें और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं ताकि भारत की सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपरा को संजोया और विकसित किया जा सके।