हरिद्वार – देवसंस्कृति विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती आयुर्वेद के विकास में जुट जाने के आवाहन के साथ मनाई गई। फार्मेसी में हवन के साथ भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा-अर्चना की गयी।
अपने संदेश में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि धन्वन्तरि भगवान विष्णु के तेरहवें अवतार हैं तथा दीर्घतपा के पुत्र व केतुमान के पिता हैं। वे देवताओं के वैद्य थे और इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ मनुष्य काया दी है, तो उसे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखकर जीवनोद्देश्य की दिशा में निरंतर गतिशील रहना चाहिए। डॉ. वन्दना श्रीवास्तव, डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. एके पाण्डेय आदि ने भगवान धन्वन्तरि से जुड़े विभिन्न पौराणिक कथानकों का जिक्र करते हुए प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह दी।
इससे पूर्व पारिवारिक स्नेह की अनुभूति कराने वाली श्रद्धेया शैल जीजी एवं श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने शांतिकुंज परिवार से जुड़े सभी परिजनों से वैश्विक महामारी कोरोना-१९ के मद्देनजर इको फ्रेण्डली दीपावली मनाने का आवाहन किया, तो वहीं रचनात्मक प्रकोष्ठ के समन्वयक श्री केदार प्रसाद दुबे एवं श्री उदय किशोर मिश्र ने ऑनलाइन धन्वन्तरि जयंती का वैदिक कर्मकाण्ड सम्पन्न कराया।
सादगी से मनाया जायेगा डॉ. पण्ड्या का जन्मदिन
हरिद्वार 13 नवंबर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या का 71वाँ जन्मदिन 14 अक्टूबर रूप चतुर्दशी को ‘चेतना दिवस’ के रूप में सादगी से मनाया जायेगा। एमडी (मेडीसिन) में स्वर्ण पदक प्राप्त देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति व युवा उत्प्ररेक डॉ पण्ड्या ने अपने जीवन के प्रारंभिक२५ वर्ष अपने शिक्षण कार्य में बिताने के बाद शेष जीवन अपने सद्गुरु युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री को सौंप दिया। उन्होंने अपने गुरु के बताये निर्देशों के पालन करते हुए देसंविवि एवं गायत्री परिवार को नई ऊँचाइयों में पहुँचाया है।