हरिद्वार – विदेसंविविश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच उनके पाठ्यक्रम के अलावा व्यक्तित्व विकास के लएविविध कार्यक्रमों में भागीदारी करने हेतु सदैव प्रेरित करते रहने का अभियान चलाया जाता है।गीता, ध्यान की कक्षा हो या तन-मन को सुदृढ़ रखने के लिए योग, जूड़ो हो या संगीत।इन सभी क्षेत्रों में विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ समान रूप से प्रतिभाग करते हैं।यही कारण है कि यहाँ के विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निखरता हुआ चला जाता है।हरिद्वार के बीएचईएल में युवा महोत्सव के दौरान आयोजित गायन प्रतियोगिता में देवसंस्कृति विश्वविद्याय के विद्यार्थियों ने लोकगीत व शास्त्रीय संगीत में अव्वल रहे।ये विद्यार्थीगण देसंविवि से जुड़ने के बाद अपनी पढ़ाई के अलावा संगीत सीखना प्रारंभ किया है।
देसंविवि के संंगीत विभाग के समन्वयक डॉ. शिवनारायण प्रसाद ने बताया कि बीएचईएल में जिला स्तरीय युवा महोत्सव के दौरान आयेाजित प्रतियोगिता में देसंविवि के बीए के विद्यार्थियों की टीम द्वारा प्रस्तुत उत्तराखंड संस्कृति पर आधारित गीत- प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़ा ने उपस्थित जनसमुदाय को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। इस गीत को प्रथम स्थान मिला तो वहीं शास्त्रीय गायन में देसंविवि के छात्र अक्षय कुमार द्वारा प्रस्तुत राग -अहीर भैरव में ‘मान ले मोरा मनवा तू…’ गीत को प्रथम स्थान मिला तथा रजत पाल द्वारा प्रस्तुत राग-केदार में ‘कान्हा रे नंद नंदना…’ गीत को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। इस प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन में बधाई दी।