कोरोना से दिल्ली बेहाल है और महाराष्ट्र लाचार, गुजरात में कोरोना मीटर गति पकड़ने की जुगत में है तो राजस्थान, मध्य प्रदेश में मामले लगातार बढ़ रहे हैं, यूपी, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में प्रवासियों के आमद से हालात चिंताजनक है। इन राज्यों में सरकार चाहे किसी भी दल की हो, यह सब लोग हिंदुस्तानी हैं, दिल्ली, महाराष्ट्र में हालात सरकार के नियंत्रण से बाहर होता दिख रहा है, यह वक़्त कड़े फैसले का है, रियायत का नहीं है। जान भी और जहान भी का वक़्त शायद निकल गया अब तो देश के आंकड़े देख कर यहीं महसूस हो रहा है कि जान है तो जहान है।
लॉक डाउन के दौरान कई राज्यों में नियमों का बड़े पैमाने पर उलंघन हुआ, जिसका खामियाजा यह राज्य अब भुगत रहे हैं, केंद्र को एक्सपर्टस की राय और जुलाई महीनें में अनुमानित आंकड़े को देखते हुए फैसले लेने चाहिये। यूरोप में बढ़ रहे लगातार कोरोना के आंकड़े को देखते हुए भी अमेरिका ने समय रहते फैसले नहीं लिए जिसका परिणाम सबके सामने है।

कोरोना वैश्विक महामारी है, दुनिया के कई देशों ने अपने यहां लंबे लॉक डाउन के साथ, ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करा कर कोरोना संक्रमण को रोकने में कामयाबी पाई है। भारत की आबादी के मद्देनजर यह बहुत जरूरी है कि दिल्ली, मुंबई समेत कुछ जिलों में कोरोना जिस तरह तीसरे स्टेज में जाता दिख रहा है वैसे हालात देश के किसी अन्य राज्य में ना हो।
कोरोना संकट में 135 करोड़ देशवासियों ने केंद्र के तमाम फैसलों का न सिर्फ समर्थन किया बल्कि कष्ट झेलते हुए भी हर संभव कोशिश की कि वह सरकार का साथ दें, सरकार को अब एक बार फिर कड़े फैसले लेने की जरूरत है ताकि कोरोना के संक्रमण को ना सिर्फ रोका जा सके बल्कि कई जिंदगियां बचाई जा सके।