21 दिन लॉक डाउन के ऐलान के दूसरे दिन से ही दिल्ली से लोग पैदल यूपी बिहार के लिये निकलने लगे थे। तमाम अख़बार, न्यूज़ एजेंसियां और न्यूज़ चैनल इसकी रिपोर्टिंग कर रहे थे लेकिन सरकारों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया (क्या एक अकेले प्रधानमंत्री पर 135 करोड़ लोगों का ठेका है, बाकी मुख्यमंत्री, मंत्री, संत्री यह सब घर में दुबक कर बैठने के लिये बने हैं क्या….) जिसका परिणाम आज दिल्ली, ग़ाज़ियाबाद के बस अड्डो पर दिख रहा है।

मीडिया कर्मी अपनी परवाह किया बिना कोरोना से इस लड़ाई में सरकार का साथ दे रहे हैं, जो जहां है वहां की रिपोर्ट सरकार और स्थानीय प्रशासन तक पहुँचा रहा है, फिर भी ऐसे हालत कैसे बन गए इसके लिये ज़िमेदार कौन है और इससे भी ज्यादा जरूरी है की हालात पर जल्दी से जल्दी काबू पाया जाए। एक बात और क्या इन मुश्किल हालातों में स्वास्थ्य कर्मी (डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल स्टाफ), पुलिसकर्मी, प्रशासन के लोग और मीडियाकर्मी अपना अपना काम कर रहे हैं कि इस लड़ाई में माननीय प्रधानमंत्री को मदद मिल सके तो जनप्रतिनिधि सावधानी रखते हुये लोगों की मदद के लिये आगे क्यों नहीं आ रहे हैं …. मुश्किल वक़्त में ही लोगों को इनकी जरूरत होती है और ऐसे वक़्त पर नेता जी घर पर हैं …. इन लोगों ने ही आपको माननीय का दर्जा दिया है धयान रखियेगा ..

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