हरिद्वार – बसंत पंचमी का पावन पर्व है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पर सुबह से ही श्रद्धालु गंगा स्नान कर पुण्य लाभ कमा रहे हैं। हालांकि कोरोना गाइडलाइंस के चलते हर की पौड़ी पर श्रद्धालुओं की संख्या उतनी नही है जितनी स्नान पर्वों पर देखी जाती रही है। लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए है। पूरे मेला क्षेत्र को 9 जोन और 25 सेक्टरों में बांटा गया है। स्नान पर्व की सुरक्षा में हरिद्वार पुलिस के साथ ही कुम्भ मेले के लिए हरिद्वार आयी सभी पुलिसकर्मियों और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई है। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान के साथ ही दान, पितृ कर्म और सोलह संस्कारों का विशेष महत्व बताया गया है।


माना जाता है कि मानव में जो जड़ता आ जाती है और उसके जीवन में पूर्वाग्रह का जो कुहासा छा जाता है उसको मिटाने के लिए ही बसंत आता है। बसंत जीवन में नयी उमग लाता है नया उल्लास लाता है व जीवन को बदलने का संकल्प लेकर आता है और जिससे हमारे जीवन से निराशावादी सोच में बदलाव आता है।


पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार बसंत पंचमी के अवसर पर माँ गायत्री, मा सरस्वती की पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी पर्व पर स्वयं सिद्ध मुहर्त है और अक्षय तृतीया के सामान ही मुहर्त है। माना जाता है कि इस पर्व पर मन्त्रों के उच्चारण के साथ गंगा स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है गंगा स्नान कर पिला बस्त्र धारण करने से माँ सरस्वती और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। बसंत पंचमी पर खासकर कलाकारों के लिए यह स्नान बहुत पुण्यकारी है और इनको गंगा स्नान करने का लाभ मिलता है ।


तीर्थ पुरोहित पण्डित उज्ज्वल पंडित के अनुसार बसंत पंचमी सनातनी परंपरावादी लोगो का मुख्य पर्व है। इस दिन अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिण्डदान, दान इत्यादि किया जाता है। हिमालयी राज्यों से आये लोग गंगा तट पर बड़े पैमाने पर जनेहु संस्कार, मुंडन संसार और कर्ण क्षेदन इत्यादि 16 संस्कार करते है। वही उन्होंने बताया कि आज के दिन माँ सरस्वती पूजन, सफेद मिठाई का भोग और सफेद मिठाई, कम्बल इत्यादि दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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