हरिद्वार – उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर से 2017 विधानसभा चुनाव में हार की पूरी जिम्मेदारी ली है। रावत ने कहा पार्टी ने जिनको भी टिकट दिया उन्होंने पूरी ईमानदारी से प्रतियाशी को जिताने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर उनकी इक्षा के खिलाफ टिकट दिया गया, जिनकी दावेदारी भी नही थी उन सीटो पर हार की जिम्मेदारी भी वो लेते हैं। वही उन्होंने एक बार फिर से 2022 चुनाव में काँग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की बात को भी दोहराया।
हरीश रावत एक दिवसीय हरिद्वार दौरे पर रहे जहाँ उन्होंने हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर गँगा पूजा तर्पण कर सीतापुर रेल हादसे में मारे गए चारो युवको को श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मशांति की कामना की। हरीश रावत ने चारो युवको के परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और रेलवे प्रशासन से चारो मृतक युवको के स्मारक बनवाने की मांग भी की। इसके बाद हरीश रावत ने राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा संतोष चौहान से मिलकर उनकी कुशलक्षेम भी जानी।
हरीश रावत ने कहा कि 2017 के चुनाव में हार की जिम्मेदारी तो उन्होंने ली ही बल्कि उन्होंने उन सीटों पर भी जिम्मेदारी से इंकार नहीं किया जहाँ उनकी इक्षा के विरुद्ध कांग्रेस का टिकट दिया गया। हरीश रावत ने कहा कि 2017 में जब मोदी की आंधी चल रही थी तब भी पूरे देश में उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत नहीं गिरा, इसलिए उनका दायित्व है कि जो दो चार पर्सेंट वोट जीतने के लिए आवश्यक होता है कांग्रेस को उस पर फोकस करना चाहिए। हमें उत्तराखंड में 70 विधानसभा पर जीतकर दर्ज करानी है यदि कांग्रेस 11 सीटों के मसले पर ही उलझ कर रह जाएगी तो उन वोटरों क्या होगा जिन्होंने उस आंधी में भी कांग्रेस का दामन थामे रखा। इसलिए सभी नेताओं को एकजुट हो जाना चाहिए।
वही उन्होंने ये भी कहा कि राजनीतिक दलों में विमर्श पैदा करना चाहिए उन्होंने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात लोकतांत्रिक तरीके से कही है और ये बात वो पार्टी का एक आम कार्यकर्ता होने के नाते ही बोल रहे है। यदि पार्टी में अपनी बात रखने की लोकतंत्र की शक्ति ही समाप्त हो जाएगी तो फिर बीजपी और कांग्रेस में अंतर ही क्या रह जाएगा।