हरिद्वार। धर्मनगरी में गंगा दशहरा और गायत्री जयंती का पर्व मनाया गया। इस दौरान श्रीगंगा सभा पदाधिकारियों ने शारीरिक दूरी का पालन करते हुए हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर गंगा पूजन और अभिषेक किया। हालांकि हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं से गुलजार रहने वाले गंगा घाट सूने नजर आए। हालांकि छिटपुट स्थानीय लोगों ने आस्था की डुबकी जरूर लगाई।

गंगा दशहरा के मौके पर हर साल हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने वालों की भारी भीड़ उमड़ती थी। लेकिन, पाबंदियों के चलते इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर हर की पैड़ी पर कोई नहीं पहुंच सका।

मान्यता है कि गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। इस दौरान महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद सप्तऋषि क्षेत्र में, जबकि महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने सिद्धपीठ दक्षिणकाली मंदिर के गंगाघाट पर गंगा स्नान, अभिषेक और पूजन किया। इस मौके पर उन्होंने भगवान शिव का जलाभिषेक कर विश्व शांति की कामना की।

गंगा दशहरा पर मंसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने विधि-विधान से पूजन किया। श्री निरंजनी अखाड़ा स्थित गणेश घाट पर गंगा पूजन करते हुए श्रीमहंत ने कहा कि मां गंगा के धरती पर अवतरित होने से राजा भगीरथ के सैकड़ों वर्षों की तपस्या पूरी हुई थी। साथ ही राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिला था। इस बार गंगा दशहरा पर मां गंगा से देश को कोरोना से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की गई है। कहा कि गंगा दशहरा के दिन ही गायत्री जयंती मनाई जाती है। समस्त वेदों की उत्पत्ति मां गायत्री से हुई है, इसलिए मां गायत्री को वेदों की जननी अर्थात वेद माता कहा जाता है। पूजन में मां मनसा देवी मंदिर के ट्रस्टी प्रदीप शर्मा, अनिल शर्मा, स्वामी राजपुरी, एसएमजेएन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा, प्रतीक सूरी, टीना, मनोज मंत्री, धनंजय गिरी, स्वामी अमृत गिरी आदि शामिल रहे।

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