पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गँगा को एस्केप चैनल घोषित करने वाले फैसले पर आज सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। हरीश रावत ने अपनी सफाई में ये भी कहा कि 2016 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के अनुसार गँगा किनारे बने लोगो के घरों और व्यापार को बचाने के लिए जनहित में ये फैसला लिया था।
हरिद्वार के बड़ा अखाड़ा उदासीन पहुंचकर हरीश रावत ने महंत दुर्गादास महाराज और श्री गँगा सभा के अध्यक्ष से मुलाकात की और अखाड़ा परिषद के नाम एक पत्र भी सौंपा। इस पत्र के माध्यम से हरीश रावत ने हर की पौड़ी को एस्केप चैनल घोषित करने पर माफी मांगी और राज्य सरकार से गँगा को एस्केप चैनल वाले शासनादेश को निरस्त करने की अपील भी की। वही महंत दुर्गादास और गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने हरीश रावत के इस फैसले का स्वागत के साथ ही वर्तमान सरकार से ये एस्केप चैनल वाला शासनादेश रद्द करने की माँग की और चेतावनी भी दी यदि ऐसा नही होता तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।